Asha Anganwadi Salary Hike: आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता हमारे समाज की असली हीरो हैं। वे बिना किसी बड़ी चमक-धमक के गांवों और शहरों में स्वास्थ्य और पोषण की नींव को मजबूत करती हैं। उनकी मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि देश के दूरदराज़ इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच पाई हैं। अब, उनके लिए एक खुशखबरी आई है—वेतन में बढ़ोतरी की खबरें।
कई राज्यों ने उनके मानदेय में वृद्धि की घोषणा की है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद जगी है। लेकिन यह सिर्फ एक वेतन वृद्धि नहीं है; यह उनके काम की अहमियत को पहचानने का संकेत है। आइए, इस खबर को और विस्तार से समझते हैं।
आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता: कौन हैं ये असली हीरो?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता:
- आंगनवाड़ी केंद्र भारत सरकार की ‘समेकित बाल विकास योजना (ICDS)’ का हिस्सा हैं।
- इनका मुख्य काम बच्चों और गर्भवती महिलाओं का पोषण स्तर सुधारना, टीकाकरण में मदद करना, और सरकारी योजनाओं को समुदाय तक पहुंचाना है।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य जांच, और स्कूल जाने के लिए तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।
आशा कार्यकर्ता:
- आशा का पूरा नाम है ‘मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (Accredited Social Health Activist)’।
- ये राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) का हिस्सा हैं।
- इनका मुख्य काम गर्भवती महिलाओं की देखभाल, बच्चों का टीकाकरण, बीमारियों की शुरुआती पहचान, और परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान, आशा कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर टेस्टिंग, वैक्सीनेशन, और जागरूकता अभियानों को सफल बनाया।
आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता: योजना का संक्षिप्त परिचय
योजना का नाम | आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता कल्याण योजना |
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लाभार्थी | आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता |
वर्तमान मानदेय | आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: ₹4,500 + ₹3,600, सहायिका: ₹2,500 + ₹1,800, आशा कार्यकर्ता: ₹2,000 – ₹4,000 (राज्य के अनुसार) |
प्रस्तावित मानदेय | ₹26,000 (कुछ राज्यों में मांग) |
लाभ | स्वास्थ्य बीमा, प्रोत्साहन राशि, प्रशिक्षण |
कार्यक्षेत्र | ग्रामीण और शहरी क्षेत्र |
इन कार्यकर्ताओं की भूमिका और योगदान
गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल
बच्चों के पोषण स्तर की निगरानी
टीकाकरण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू करना
सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाना
कोविड-19 जैसी महामारी में फ्रंटलाइन वॉरियर के रूप में सेवा देना
वेतन वृद्धि की मांग क्यों उठ रही है?
आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की वेतन वृद्धि की मांग कोई नई बात नहीं है। वर्षों से ये कार्यकर्ता अपने हक की आवाज बुलंद कर रही हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं:
बढ़ती महंगाई: मौजूदा वेतन महंगाई के साथ कदमताल नहीं कर पा रहा है।
कार्य का बोझ: इन कार्यकर्ताओं पर काम का भार लगातार बढ़ता जा रहा है।
योग्यता: अधिकांश कार्यकर्ता शिक्षित और कुशल हैं और बेहतर वेतन की हकदार हैं।
सामाजिक सुरक्षा: अभी भी इन्हें पेंशन और बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं पूरी तरह से नहीं मिलतीं।
राज्यों ने क्या कदम उठाए?
कई राज्य सरकारों ने इन कार्यकर्ताओं के वेतन में सुधार के लिए कदम उठाए हैं:
पश्चिम बंगाल:
- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मासिक वेतन में ₹750 की वृद्धि की घोषणा की।
- यह वृद्धि अप्रैल 2024 से लागू होगी।
हरियाणा:
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आशा कार्यकर्ताओं के मासिक वेतन में ₹2,100 की वृद्धि की घोषणा की।
कर्नाटक:
- राज्य में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए ₹26,000 के न्यूनतम वेतन की मांग की गई है।
केंद्र सरकार की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में कुछ अहम घोषणाएं की थीं:
आशा कार्यकर्ताओं के प्रोत्साहन राशि में दोगुनी वृद्धि।
मुफ्त बीमा कवर के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और सुरक्षा बीमा योजना।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में ₹1,500 से ₹2,250 तक की बढ़ोतरी।
आयुष्मान भारत योजना के तहत ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा।
वेतन वृद्धि का क्या होगा असर?
इस वेतन वृद्धि के कई सकारात्मक प्रभाव होंगे:
जीवन स्तर में सुधार: कार्यकर्ताओं का जीवन स्तर बेहतर होगा।
मनोबल में वृद्धि: उचित वेतन से कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
बेहतर सेवाएं: वे अपने काम को और भी ज्यादा समर्पण से करेंगे।
महिला सशक्तिकरण: आर्थिक स्वतंत्रता से महिलाएं और मजबूत होंगी।
आगे की राह
आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को और मजबूत बनाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:
डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल: स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए और सुलभ बनाना।
कैरियर अपग्रेड: प्रशिक्षण और शिक्षा के जरिए करियर में प्रगति के अवसर प्रदान करना।
सामुदायिक नेतृत्व: इन्हें सामुदायिक लीडर के रूप में तैयार करना।
निष्कर्ष
आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के वेतन में वृद्धि एक सराहनीय कदम है। इससे न केवल इन कार्यकर्ताओं का जीवन बेहतर होगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। हालांकि, इस दिशा में अभी और कदम उठाने की जरूरत है। सरकार, समाज और स्वयं कार्यकर्ताओं के सामूहिक प्रयासों से यह लक्ष्य अवश्य हासिल होगा।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है। ₹26,000 का वेतन अभी केवल कुछ राज्यों में मांग के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सटीक जानकारी के लिए अपने स्थानीय स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करें।